MAHAKUMBH 2025 में ज्योतिषीय रूप से 144 वर्ष बाद अनूठा योग बना है जिसकी वजह से महाकुम्भ में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ है, इनके अलावा नागा साधुओं भी संगम में नहाने के लिए दूर दूर से आतें हैं।
इस महाकुम्भ में अनोखे साधुओं का आना भी चर्चा का विषय बना हुआ है, आइये जानते हैं इन अनोखे साधुओं के बारे में,,,
१- कबूतर वाले बाबा-
कबूतर वाले बाबा इस महाकुम्भ में चर्चा का विषय बन गए हैं ,KABUTAR वाले बाबा के साथ हमेशा एक कबूतर रहता है,KABUTAR वाले बाबा का कहना है की वो जीवों की सेवा करना उनका परम धर्म है|
जूना अखाड़े के बाबा पावूराम अपने सिर पर कबूतर लेकर चलते हैं, जिसे वह प्राणियों के प्रति प्रेम और करुणा का प्रतीक मानते हैं।
२.अनाज वाले बाबा-
अनाज वाले बाबा भी कुम्भ में चर्चा का विषय बने हुए हैं , बाबा अपने सिर पर गेहूं, जौं, चना और बाजरा की फसल उगाते हैं। इस समय अनाज वाले बाबा ने अपने सिर पर जौं, गेहूं बाजरा, चना जैसी ही फसल उगा रखी है। जिसके चलते बाबा के सोने का तरीका भी अलग है।
बाबा विश्व में पर्यावरण को लेकर काफी चिंतित हैं और चाहते हैं कि लोग हरियाली को लेकर जागरूक हों और पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचाने की बजाय ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाएँ और विश्व कल्याण में भागीदार बने।
३. चाय वाले बाबा –
महाकुम्भ में चाय वाले बाबा का अलग ही आकर्षण है, चाय वाले बाबा 42 वर्ष से मौन व्रत धारण किये हुए हैं और सबसे अलग बात ये है की वो सिविल सर्विसेस की
तैयारी करने वालों के लिए नोट्स के द्वारा तैयारी भी कराते हैं
अनूठे बाबा दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी चाय पीकर जिंदगी गुजारने के पीछे बताते हैं कि दूध में सभी पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं, उससे बनने वाली चाय उनकी शारीरिक जरूरतों को पूरा कर देती है
४. रुद्राक्ष वाले बाबा-
रुद्राक्ष वाले बाबा अपने अलग रूप के लिए चर्चा का केंद्र बने हुए हैं रुद्राक्ष वाले बाबा का असली नाम संन्यासी गीतानंद महाराज है, महाराज अपने सिर पर सवा लाख रुद्राक्ष धारण किए हैं, जिनका वजन 45 किलो है। उनकी यह हठयोग तपस्या महाकुंभ मेले में आकर्षण का केंद्र बन गई है।
५. चाभी वाले बाबा-
कुम्भनगरी में चाभी वाले बाबा का अलग ही आकर्षण है, चाभी वाले बाबा अपने साथ 20 kg की चाभी लेकर चलते हैं |
चाभी वाले बाबा जिनका असली नाम हरिश्चंद्र विश्वकर्मा है,उनको लोग ‘कबीरा बाबा’ के नाम से भी जानते हैं.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी मीडिया स्रोतों पर आधारित है.
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